कविमन....

लिखे हर आंसुओं के बोल,
जिनके छंद बन बैठे 
जज्बात जो पिघले,
तो फौरन शब्द बन बैठे 

लिखी हर सांझ की कुमकुम,
वो शबनम हर सहर की 
वो आंसू बादलों के,
कहानी हर पहर की 

लिखे हर गीत नदियों के, 
वो लहरों की खुमारी  
खामोशी हर हवाओं की 
जो कागज पर उतारी

- शशांक उनियाल
(🐦uniyalshashank4 ) 

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