फिर छोटी छोटी बातों पर बोलो क्यूँ अश्रु बहाते हो ?

नभ अपने जग मग तारों पर देखो कितना इठलाता है 
गेहनों से तारों को पहने स्वर्णिम प्रकाश बिखराता है
लेकिन किस्मत उसकी देखो तारे ना साथ निभाते हैं 
कुछ छोड़ गगन को देते हैं कुछ तम विलीन हो जाते हैं 
पर देखो उसकी आँखों में क्या एक अश्रु भी होता है । 
टूटे उसके भी तारे हैं वो दिल उसका भी रोता है ।। 

नए पल्लवित पुष्प  लिए कलियाँ सदैव मुस्काती हैं 
महके से फूलों के शबाब से उपवन को महकाती हैं 
लेकिन बागों  की आंधी में ,वो फूल न साथ निभाते हैं 
कुछ छोड़ कली को देते हैं ,कुछ आंधी में बह जाते हैं 
फिर भी उन टूटी कलियों पर पुष्पों का खिलना होता है 
छूटे  उसके भी प्यारे हैं वो दिल उसका भी रोता है ।।

नित कल कल करती धाराएं सरिता संग बहती जाती हैं
चलते रुकते गिरते उठते  पूरे पथ साथ निभाती हैं 
पर होती हैं गुमनाम  सभी जब अंत समय आ जाता है 
जाकर मिलती हैं सागर में ना कोई साथ निभाता है 
लेकिन  खोने के दुःख से क्या रुकना सरिता का होता है
खोयी उसने भी सखियाँ हैं वो दिल उसका भी रोता है ।

फिर छोटी छोटी बातों पर बोलो क्यूँ अश्रु बहाते हो ?
जो बीत गयी सो बात गयी क्यूँ बार बार दोहराते हो ?
पूछो चलना क्या होता है काटों की झोली को पाकर 
 ग़र ढूंढ रहा हो ग़म कोई तो देखे ये आँखें आकर
लेकिन मुस्काते चेहरे पर ना नीर नयन का होता है  
खोयी मैने कुछ खुशियां हैं ये दिल मेरा भी रोता है ।।

- शशांक 

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