तुम नागराज की टिहरी हो , मैं भोले की उत्तरकाशी.....

तुम हो बर्फीली औली सी , मैं महकी फूलों की घाटी 
तुम हेमकुंड तुम भीमताल, मैं हिमगिरि की डांडी कांठी 
तुम हो पिंडारी की वादी , मैं बागेश्वर का संगम हूं
तुम ऋषि पुलस्त्य की नैनी हो ,मैं टिहरी झील विहंगम हूं।

तुम हर की पौड़ी हरिद्वार, मैं अपना छोटा चारधाम
तुम सायं गंगा की पूजा , मैं उगते सूरज का प्रणाम
तुम ऊंची नंदा की चोटी , मैं गौरी, दूना, चौखंबा
तुम कोसी सरयू सरस्वती ,मैं कल कल करती भिलंगना।

तुम नागराज की टिहरी हो, मैं भोले की उत्तरकाशी
तुम हो विष्णू की अल्मोड़ा,मैं द्रोण की नगरी का वासी(दून)
तुम मसूरी झरनों की रानी, मैं हूं चोंपता का बुग्याल
तुम चंद वंश की कुमाऊं ,मैं कत्यूरी का गढ़ गढ़वाल ।।

- शशांक (@UniyalShashank4)


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