सौंदर्य जन्मभूमि उत्तराखंड का ......
कि तेरी हर निशा हर भोर शबनम चांदनी लिख दूं
बरसती धूप पत्तों पर,छनकती रौशनी लिख दूं
महकते फूल की खुशबू लिखूं हर कूक कोयल की
थिरकती थाप पर नदियां बसंती रागिनी लिख दूं ।।
कि माथे पर बुरांशी फूल कुमकुम की छटा लिख दूं
मुकुट पर बादलों की ओढ़नी ओढ़े घटा लिख दूं
संजोए फूल फ्योंली के सुनहरी पीत साड़ी पर
गले में हार नदियों के,नदी में चाशनी लिख दूं ।।
कि तेरी हर शिखा पर मंदिरों की घंटियां लिख दूं
फिज़ा में ढोल मंजीरे हवा में शोखियां लिख दूं
सिसकते आंसुओं के गीत लिखदूं घुरुन घुघुती की
पिरोदूं शब्द के मोती,कि तेरी वादियां लिख दूं ।।
✍️ शशांक
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