पहाड़ी नारी .....
महज कंगन और चूड़ियों तक सिमटे नहीं ख्वाब हमारे
इन पहाड़ों को सजाने का हुनर भी हमने सीखा है
ये बस्ते महज कागजों और किताबों वाले बस्ते नहीं हैं
इनमें कुछ बीहड़ों में जान डालने का भी नुस्खा है
कई चुनौतियों में भी खुश रह लेते हैं हम
मां बाप ने सहना नहीं लड़ना सिखाया है
दूर उस पहाड़ की चोटी पर घरौंदे हैं हमारे
मां बाप ने चलना नहीं उड़ना सिखाया है
✍️शशांक
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