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वो यादें ........

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वो हरपल मुसल्सल दे दस्तक ज़हन में वो मुश्किल पहेली सी उलझी सी यादें वो यादें भंवर में जो डगमग सफ़ीना  मैं साहिल पुराना वो अपनी सी यादें  वो रस्ते वो झरने वो मिट्टी की खुशबू वो बारिश वो होली दिवाली की यादें  वो यादें जिन्हें छोड़ हम आ गए हों  उन्हें भूल जाने की हिम्मत नहीं है  वो चेहरे जो अम्बर के जगमग सितारे  कभी सेहन-ए-गुलशन में थे सब के प्यारे वो अपना जो लाखों में दिलकश लगा था  ये किस्से ये यादें थमाकर गया जब वो तारीख मंजर सितम वक्त-ए-रुखसत वो चेहरा समां सुर्ख यादों की गफलत ये यादें जहन में जो घर कर गई हैं  इन्हें अब मिटाने की हिम्मत नहीं है । - शशांक

ऐ जिन्दगी तू रूठ नहीं सकती ऐसे .....

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तू इतनी क्यूं मगरुर बता  क्यूं लफ्ज़ तेरे शर्मिंदा है ? गर उत्तर ना हों हामी भर  मैं जान सकूं तू जिंदा है  तू परछाई, मेरा हर उत्तर  आज तुझे देना होगा  अस्तित्व तेरा और मेरा क्या ?  ये आज तुझे कहना होगा  उलझे ख्वाबों के बीच  वो कल का गीत नहीं लिख सकता मैं , बिन तेरे, हर टूटे साजों का  संगीत नहीं लिख सकता मैं  जिंदगी तू मेरी पूरक है  तू रूठ नहीं सकती ऐसे  संग सदियों की यारी पल में  टूट नहीं सकती ऐसे । ☺️  - शशांक