वो यादें ........
वो हरपल मुसल्सल दे दस्तक ज़हन में
वो मुश्किल पहेली सी उलझी सी यादें
वो यादें भंवर में जो डगमग सफ़ीना
मैं साहिल पुराना वो अपनी सी यादें
वो रस्ते वो झरने वो मिट्टी की खुशबू
वो बारिश वो होली दिवाली की यादें
वो यादें जिन्हें छोड़ हम आ गए हों
उन्हें भूल जाने की हिम्मत नहीं है
वो चेहरे जो अम्बर के जगमग सितारे
कभी सेहन-ए-गुलशन में थे सब के प्यारे
वो अपना जो लाखों में दिलकश लगा था
ये किस्से ये यादें थमाकर गया जब
वो तारीख मंजर सितम वक्त-ए-रुखसत
वो चेहरा समां सुर्ख यादों की गफलत
ये यादें जहन में जो घर कर गई हैं
इन्हें अब मिटाने की हिम्मत नहीं है ।
- शशांक
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